शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

जीवन धारा


आपका जन्म 30 अगस्त 1923 को चंद्रपुर (महाराष्ट्र) में हुआ । आप सात भाई बहनों में पांचवी संतान थे । आपके पिता स्व.रामरतन मिश्रा पुलिस में सिपाही थे और चंद्रपुर शहर में स्थित हनुमान मंदिर के पुजारी भी थे (बसंत भवन के पीछे) । बचपन से ही आप हनुमानजी के अनन्य भक्त रहे । सन 1961 को गोवा मुक्ति संग्राम में भारतीय सैनिको की सेवा करने के लिए गए सामाजिक दल के साथ आप भी गोवा गए और घायल सैनिकों की सेवा करते रहे । सन् 1952 में तात्कालीन मध्य प्रदेश के भिलाई शहर में आकर आप बस गए और इस शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी, समाजसेवी व संग्राम सेनानी के रूप में 27 जुलाई 2008 को अपनी नश्वर देह का त्याग कर सदा के लिए हनुमंत सेवा में चले गए ।
जीवन तो कई प्रकार के बीताए जा सकते हैं पर आपने जो हमें जीवन जीना सिखाए हैं उस पर चलना तो कठिन लगता है किंतु आत्मसुख के आगे सब तुच्छ लगने लगता है इसलिए आपके बताए मार्ग पर हम सभी - आपके 2 पुत्र 2 बहुएं 4 पुत्रियां चारो दामाद 11 नाती 4 नातिन औऱ 4 पोता पोती चलने की कोशिश कर रहे हैं । आपके हनुमंतलीन होने का प्रमाण हम सभी लोग हैं जो अपनी हर कठिनाई में पहले के जैसे आज भी आपको याद करते हैं और हमारे सब संकट खत्म हो जाते हैं । ........ पूरे भिलाई शहर में केम्प-2 वाले दादाजी के नाम से प्रसिद्ध श्रद्धेय पं. गयाप्रसाद जी मिश्र के जीवनांश ......